परी ताल बहुत बड़ा नही है, लेकिन इसकी रहस्यमयी कथाओ और रोमांचक भौगोलिक परिस्थितियों, और प्राकृतिक सुंदरता लाजवाब है।
नैनीताल में एक ताल ऐसा है, जो अपने आप मे रहस्यमयी और रोमांचक ताल है। इस ताल के बारे में अधिक लोगों को पता नही है।
परिताल का रास्ता बहुत ही रोमांचक और खतरों से भरा हुवा है। परिताल कलशा नदी के उस पार पड़ता है।
कलशा नदी को पार करने के लिए, बड़े बड़े पत्थर और फिसलन भरे मार्ग से जाना पड़ता है।
यहाँ कि मान्यता है कि यहाँ पूनम की रात को परिया स्नान करने के लिए आती हैं ।
स्थानीय लोगो ने परियो को यहाँ से निकलते देखा था। इसलिये इस ताल का नाम परी ताल है। या परियो की झील कहाँ जाता है।
एक अन्य कथा के अनुसार पुराने समय मे काठगोदाम में लकड़ियों का गोदाम था, और नदी मार्ग परिवहन से लकड़ियों के लाग को मैदानी क्षेत्रों में भेजते थे।
इसकी मान्यता है कि यहाँ देव परिया स्नान करती हैं । इसलिए स्थानीय लोग यहाँ डुबकी लगाने या स्नान करने से परहेज करते हैं।
परीताल की वास्तविक गहराई ज्ञात नही हैं। साल में जनवरी फरवरी में भारी संख्या में यहां लंगूर आते हैं। जो शिलाजीत को चूसने के लिए चट्टानों से चिपक जाते हैं।